शीशे को बदलो पर | Shishe Ko Badlo Par
शीशे को बदलो पर | Shishe Ko Badlo Par जूनागढ मे शिवरात्रि का मेला लगा था। एक वृद्धा मेले में गई। एक दुकान वाला शीशे बेच रहा था। साठ-सत्तर वर्ष…
शीशे को बदलो पर | Shishe Ko Badlo Par जूनागढ मे शिवरात्रि का मेला लगा था। एक वृद्धा मेले में गई। एक दुकान वाला शीशे बेच रहा था। साठ-सत्तर वर्ष…
गुप्तदान | Guptdan भारत में किसी मन्दिर का जीर्णोद्धार हो रहा था। पचास हजार रुपयों की जरूरत थी। ट्रस्टी गये किसी बडे व्यापारी के पास। वह दानशील है। दस बजे…
शक्ति का प्रागट्य | Shakti Ka Pragatya शिवजी का धनुष जब जनकजी को देने में आया तब मुख्य स्थान पर रखने के लिए कई हाथियों द्वारा खींचवाना पडा था। यह…
सूर के श्याम | Sur Ke Shyam सूरदासजी नेत्रहीन थे। कृष्ण के परमभक्त। एक जगह भजन करने गये। बहुत रंग में आये। समय बीतता चला गया। उन्होंने यह माना कि…
पुरस्कार के लायक | Purshkar Ke Layak कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार मिला। दनिया भर के लोग उन्हें धन्यवाद देने, अभिनन्दन देने आने लगे। व्यक्तियों की लम्बी लाइन लग…
दृष्टि बदलो | Drashti Badlo सौराष्ट्र की एक कहानी है। वर्षा ऋतु में तांगे के घोडे की हरी घास खाने ही आदत पड़ गई है। ग्रीष्म-शीत ऋतु में भी हरी…
वह खेत मेरा है । Vah Khet Mera Hai अकबर का पुत्र सलीम सैनिकों को लेकर राजस्थान जीतने गया। राजस्थान के एक मुख्य प्रदेश पर उसने डेरा डाला। सैनिकों के…
भेद निकालो | Bhed Nikalo एक गाँव में सभी व्यक्ति एकत्रित हुए। और फिर फैसला किया कि हमारे गाँव में एक मंदिर होना चाहिए। फिर सबने चंदा इकट्ठा किया और…
छत्रछाया | Chhatarchhaya सावधान हनुमानजी की आँखे अवध के राज दरबार में घूमने लगीं। श्री लक्ष्मणजी दिखाई देते है, शत्रुध्न दिखाई देते है पर भरतजी नहीं दिखाई दिये। भरतजी कहाँ…
भाग्यशाली | Bhagyashali चित्रकूट का प्रसंग है। संतो का मत है। लक्ष्मणजी फल-फूल लेने गये थे और राम-सीता बैठे-बैठे चर्चा कर रहे थें। वसन्तऋतु थी और वृक्ष खिला हुआ था।…
त्याग और समर्पण को न भूलें | Tayag Aur Smarpan Ko Na Bhule भगवान शाम को महल में बैठे थे। सारा राजकुटुम्ब बैठा था। उस समय राम ने कौशल्या माँ…
रामकृष्ण परमहंस और पकौडे | Ramkrishan Paramhansh Aur Pakode सत्संग चलता हो तो भी रामकृष्ण परमहंस खडे हो जाते और पकौड़े खाने के लिए चले जाते। विवेकानंदजी, शारदाजी बहुत दुःखी…
किसको प्रणाम करे ? | Kisko Pranam Kare? गोविन्दसिंहजी को लगा कि अब जीने का कोई अर्थ नहीं है। मेरी नजरों के सामने मेरे दो पुत्र, माँ चल बसे। गुरु…
बच्चें और दादी | Bache Aur Dadi गरु गोविन्दसिंहजी अपने दोनों बालकों को हृदय से लगाकर कहते हैं, "बेटा, हुक्म हो गया है। धर्मान्तर न करे तो आप दोनों के…
कार्तिक अमावस्या व्रत कथा | Kartik Amavasya Vrat Katha हिन्दू धर्म में कार्तिक अमावस्या अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। अमावस्या के दिन तर्पण और पितरों के लिए दान, पुण्य करना…
करवा चौथ व्रत कथा | Karwa Chauth Vrat Katha एक साहूकार था जिसके सात बेटे और एक बेटी थी | सातों भाई व बहन एक साथ बैठ कर भोजन करते…
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कथा | Margashirsha Purnima Vrat Katha मार्गशीर्ष व्रत के पीछे कई कहानियां हैं। भारत की सांस्कृतिक रूप से विविध प्रकृति के कारण हर क्षेत्र की एक अलग…
विवाह पंचमी कथा | Vivah Panchami Katha पौराणिक कथा के अनुसार त्रेतायुग में धरती को रावण के संताप से मुक्त कराने और समाज के समक्ष धर्म एवं मर्यादा का उदाहरण…
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा | Mokshada Ekadashi Vrat Katha धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! मैंने मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी अर्थात उत्पन्ना एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप कृपा…
मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत कथा | Margashirsha Amavasya Vrat Katha मार्गशीर्ष अमावस्या की बहुत सारी कथाएं प्रचलित है। इसमें से एक गरीब ब्राह्मण परिवार की कथा है। ब्राह्मण की एक पुत्री…