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विवाह पंचमी कथा | Vivah Panchami Katha

विवाह पंचमी कथा | Vivah Panchami Katha

पौराणिक कथा के अनुसार त्रेतायुग में धरती को रावण के संताप से मुक्त कराने और समाज के समक्ष धर्म एवं मर्यादा का उदाहरण प्रस्तुत करने के लिये भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया और देवी लक्ष्मी जनकनंदनी सीता के रूप में धरती पर प्रकट हुयी। श्री हरि विष्णु ने अयोध्या के महाप्रतापी सूर्यवंशी राजा दशरथ के यहाँ पुत्र श्री राम के रूप में जन्म लिया और देवी लक्ष्मी ने मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता के रूप में अवतार लिया।
सीता जी के जन्म से जुड़ी एक कथा के अनुसार देवी सीता का जन्म धरती से हुआ था। एक समय मिथिला में भीषण अकाल पड़ा, तब एक ऋषि द्वारा कहने पर राजा जनक ने धरती पर हल चलाया। जब वो हल चला रहे थे, तब उन्हे धरती से एक पुत्री मिली। उसका नाम उन्होने सीता रखा। सीता जी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता हैं।
राजा जनक के पास भगवान शिव का दिया एक धनुष था। उस धनुष को उठाना बड़े से बड़े योद्धा के लिये भी सम्भव नही था। एक बार अपने बाल्यकाल में सीता जी ने उस धनुष को उठा लिया तब राजा जनक ने यह प्रतिज्ञा की वो अपनी पुत्री सीता का विवाह उसी से करेंगे जो उस शिव धनुष को उठा कर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा सकेगा। इस का उल्लेख तुलसीकृत श्रीरामचरितमानस में भी मिलता हैं।

सिय ने धनुष को उठा लिया। नृप ने प्रतिज्ञा कर लीनी।
होये जो बलवान इससे ज्यादा। उसको यह पुत्री दीन्ही॥

राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिये एक भव्य स्वयंवर का आयोजन किया। उस स्वयंवर में भारतवर्ष के सभी राजा-महाराजाओं को आमंत्रित किया गया। उस स्वयंवर में श्रीराम और लक्ष्मण अपने गुरू विश्वामित्र के साथ पहुँचें। जब स्वयंवर में उपस्थित कोई भी राजा या राजकुमार उस शिव धनुष को उठा नही पाया, तब राजा जनक बहुत दुखी हुये। तब गुरू विश्वामित्र ने श्रीराम को शिव धनुष उठाकर राजा जनक को इस दुख से निकालने के लिये कहा। अपने गुरू की आज्ञा पाकर श्रीराम ने उस शिव धनुष को उठाकर जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश की तो वो धनुष टूट गया। इस प्रकार श्री राम ने स्वयंवर की शर्त को पूरा किया और फिर उनका विवाह देवी सीता से साथ हुआ। भगवान राम और माता सीता की कुंडली के 36 गुण मिले थे।
परंतु श्री राम को परशुराम के क्रोध का निशाना बनना पड़ा शिव जी का यह धनुष परशुराम राजा जनक के पास छोड़कर गए हुए थे परंतु परशुराम ने जब राम को देखा तो उन्हें एहसास हुआ कि वह कोई साधारण मानव नहीं है और उन्होंने यह यह स्वीकार कर लिया कि वह विष्णु के अवतार हैं इस प्रकार भगवान राम और सीता का विवाह संपन्न हुआ।
इस दिन करें ये उपाय-

  • भगवान राम और माता सीता जी की पूजा करने से विवाह में जो बाधाएं आ रही हैं वह समाप्त हो जाती हैं।
  • परिवार में कलह रहती है सास- बहू में बिल्कुल भी नहीं बनती तो आप शनिवार के दिन आटा खरीदें, 100 ग्राम काले पिसे हुए चने भी खरीदें और उसे आटे में मिला दे ऐसा करने से आपके परिवार में शांति बनी रहेगी।
  • विवाह पंचमी के दिन बालकाण्ड में भगवान राम और सीता जी के विवाह प्रसंग का पाठ करना शुभ होता है।
  • शादी में बाधाएं आ रही है बात बनते-बनते बिगड़ जाती है. कहीं भी शादी पक्की नहीं हो पा रही है तो आप रोज चींटियों को आटा डालें और पक्षियों को सात अनाज डालें।
  • सम्पूर्ण रामचरित-मानस का पाठ करने से भी पारिवारिक जीवन सुखमय होता है।
  • किसी वजह से टूट गई अगली बार ऐसा ना हो इसके लिए आप शनिवार को हनुमानजी के मंदिर में जाकर सवा किलो मोतीचूर के लड्डुओं का भोग लगाएं, घी का दीपक जलाएं।
  • आपकी पुत्री विवाह के लिए रिश्ता देखने जा रहे हैं तो जब आप घर से निकले तो किसी गाय को आटा गुड़ खिलाकर जाएं ऐसा करने से आपको सफलता मिलेगी।
  • विवाह में बाधा आ रही है इसके लिए भगवान राम और माता सीता पर चढ़े केसर से प्रतिदिन तिलक करें ऐसा करने से समस्या का समाधान होगा।
  • अगर आपको जीवन साथी सुंदर पाने की चाह है तो इसके लिए राम सीता पर लगातार 13 दिन तक आलता चढ़ाएं।
  • भगवान राम सीता पर चढ़ी साबुत हल्दी पीले कपड़े में बांधकर शयनकक्ष में रखने से शीघ्र विवाह हो जाता है।
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