सफला एकादशी | Safla Ekadashi
सफला एकादशी | Safla Ekadashi पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी कहा जाता है।माना जाता है कि सफला एकादशी व्रत के पुण्य से भक्त को…
सफला एकादशी | Safla Ekadashi पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी कहा जाता है।माना जाता है कि सफला एकादशी व्रत के पुण्य से भक्त को…
प्रशंसा । Pranshasa शिल्पकार था। वह बहुत सुन्दर मूर्तियां बनाता था।उसे एक ज्योतिषी मिला। उसने शिल्पी से कहा,"बराबर एक महीने बाद इसी तारीख, इसी समय तेरी मृत्यु होगी।"हमें कोइ मौत…
हराम को छोड । Haram Ko Chhod एक दिन गाँधीजी सायंकाल की प्रार्थना करने के लिए बिरला मन्दिर जा रहे थे। रास्ते में एक भाई ने हाथ जोडकर बापू से…
खन-खन आवाज । Khann-Khann Aawaj तीन लडके थे। पिता की सारी सम्पति बाँट ली मकान बाँटे, खेत बाँटे, जमीन जायदाद बाँटी, पैसे बाँटे। पिता रह गया।बड़ा लड़का कहे, "मैं नहीं…
मेरी यात्रा पूर्ण हुई । Meri Yatra Purn Hui मेरा एक मित्र है, स्नेही है। उसका नाम है बरबाद। जूनागढ रहता है। फ़कीर है। अति गरीब है।एक बार मैंने उससे…
मन-आत्मा की तकरार । Man-Aatma Ki Takrar एक भिखारी रास्ते पर बैठकर भीख माँग रहा था। एक आदमी वहाँ से निकला। भिखारी ने कहा,"मैं बहुत भूखा हूँ। मुझे कुछ दो।"उस…
यज्ञ की पूर्णाहुति । Yagh Ki Purnahuti महाराज युधिष्ठिर ने एक बार यज्ञ किया। यज्ञ में अन्तिम आहुति अर्पण की तो घंटे की आवाज नहीं हुई। अतः धर्मराज युधिष्ठिर को…
शीशे को बदलो पर | Shishe Ko Badlo Par जूनागढ मे शिवरात्रि का मेला लगा था। एक वृद्धा मेले में गई। एक दुकान वाला शीशे बेच रहा था। साठ-सत्तर वर्ष…
गुप्तदान | Guptdan भारत में किसी मन्दिर का जीर्णोद्धार हो रहा था। पचास हजार रुपयों की जरूरत थी। ट्रस्टी गये किसी बडे व्यापारी के पास। वह दानशील है। दस बजे…
शक्ति का प्रागट्य | Shakti Ka Pragatya शिवजी का धनुष जब जनकजी को देने में आया तब मुख्य स्थान पर रखने के लिए कई हाथियों द्वारा खींचवाना पडा था। यह…
सूर के श्याम | Sur Ke Shyam सूरदासजी नेत्रहीन थे। कृष्ण के परमभक्त। एक जगह भजन करने गये। बहुत रंग में आये। समय बीतता चला गया। उन्होंने यह माना कि…
पुरस्कार के लायक | Purshkar Ke Layak कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार मिला। दनिया भर के लोग उन्हें धन्यवाद देने, अभिनन्दन देने आने लगे। व्यक्तियों की लम्बी लाइन लग…
दृष्टि बदलो | Drashti Badlo सौराष्ट्र की एक कहानी है। वर्षा ऋतु में तांगे के घोडे की हरी घास खाने ही आदत पड़ गई है। ग्रीष्म-शीत ऋतु में भी हरी…
वह खेत मेरा है । Vah Khet Mera Hai अकबर का पुत्र सलीम सैनिकों को लेकर राजस्थान जीतने गया। राजस्थान के एक मुख्य प्रदेश पर उसने डेरा डाला। सैनिकों के…
भेद निकालो | Bhed Nikalo एक गाँव में सभी व्यक्ति एकत्रित हुए। और फिर फैसला किया कि हमारे गाँव में एक मंदिर होना चाहिए। फिर सबने चंदा इकट्ठा किया और…
छत्रछाया | Chhatarchhaya सावधान हनुमानजी की आँखे अवध के राज दरबार में घूमने लगीं। श्री लक्ष्मणजी दिखाई देते है, शत्रुध्न दिखाई देते है पर भरतजी नहीं दिखाई दिये। भरतजी कहाँ…
भाग्यशाली | Bhagyashali चित्रकूट का प्रसंग है। संतो का मत है। लक्ष्मणजी फल-फूल लेने गये थे और राम-सीता बैठे-बैठे चर्चा कर रहे थें। वसन्तऋतु थी और वृक्ष खिला हुआ था।…
त्याग और समर्पण को न भूलें | Tayag Aur Smarpan Ko Na Bhule भगवान शाम को महल में बैठे थे। सारा राजकुटुम्ब बैठा था। उस समय राम ने कौशल्या माँ…
रामकृष्ण परमहंस और पकौडे | Ramkrishan Paramhansh Aur Pakode सत्संग चलता हो तो भी रामकृष्ण परमहंस खडे हो जाते और पकौड़े खाने के लिए चले जाते। विवेकानंदजी, शारदाजी बहुत दुःखी…
किसको प्रणाम करे ? | Kisko Pranam Kare? गोविन्दसिंहजी को लगा कि अब जीने का कोई अर्थ नहीं है। मेरी नजरों के सामने मेरे दो पुत्र, माँ चल बसे। गुरु…