अन्नपूर्णा आरती | Annapurna Aarti

अन्नपूर्णा आरती | Annapurna Aarti बारम्बार प्रणाम,मैया बारम्बार प्रणाम ।जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके,कहां उसे विश्राम ।अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो,लेत होत सब काम ॥ बारम्बार प्रणाम,मैया बारम्बार प्रणाम ।प्रलय युगान्तर…

Continue Readingअन्नपूर्णा आरती | Annapurna Aarti

माँ कात्यायनी आरती | Ma Katyayani Aarti

जय जय अम्बे जय कात्यानी।जय जगमाता जग की महारानी।। बैजनाथ स्थान तुम्हारा।वहा वरदाती नाम पुकारा।। कई नाम है कई धाम है।यह स्थान भी तो सुखधाम है।। हर मंदिर में ज्योत…

Continue Readingमाँ कात्यायनी आरती | Ma Katyayani Aarti

विश्वम्भरी स्तुति | Vishvambhari Stuti

विश्वंभरी अखिल विश्व तनी जनेता,विद्या धरी वदनमा वसजो विधाता,दुर्बुद्धिने दूर करी सदबुद्धि आपो,माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों। भूलो पड़ी भवरने भटकू भवानी,सूझे नहीं लगिर कोई दिशा जवानी,भासे भयंकर…

Continue Readingविश्वम्भरी स्तुति | Vishvambhari Stuti

राधा चालीसा | Radha Chalisa

॥ दोहा ॥ श्री राधे वुषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार ।वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रानावौ बारम्बार ॥जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम ।चरण शरण निज दीजिये, सुन्दर सुखद ललाम ॥ ॥ चौपाई ॥ जय…

Continue Readingराधा चालीसा | Radha Chalisa

ब्राह्मणी माता आरती | Brahmani Mata Aarti

ब्राह्मणी माता आरती | Brahmani Mata Aarti ॐ ब्रह्माणी मइया, जय ब्रह्माणी मइया।पल्लू धाम विराजत, सब जन कल्याणी ॥ॐ ब्रह्माणी मइया .. मंगल मोदमयी माँ, पीताम्बर धारी।स्वर्ण छत्र से शोभित,…

Continue Readingब्राह्मणी माता आरती | Brahmani Mata Aarti

ब्रह्माणी स्तुति | Brahmani Stuti

चन्द्र दिपै सूरज दिपै, उड़गण दिपै आकाश ।इन सब से बढकर दिपै, माताऒ का सुप्रकाश ॥ मेरा अपना कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोय ।तेरा तुझको सौंपते, क्या लगता…

Continue Readingब्रह्माणी स्तुति | Brahmani Stuti

नर्मदा माता जी चालीसा | Narmda Mata Ji Chalisa

॥ दोहा ॥ देवि पूजित, नर्मदा,महिमा बड़ी अपार ।चालीसा वर्णन करत,कवि अरु भक्त उदार॥ इनकी सेवा से सदा,मिटते पाप महान ।तट पर कर जप दान नर,पाते हैं नित ज्ञान ॥…

Continue Readingनर्मदा माता जी चालीसा | Narmda Mata Ji Chalisa

दुर्गा माता जी चालीसा | Durga Mata Ji Chalisa

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥रूप मातु को अधिक सुहावे।दरश करत…

Continue Readingदुर्गा माता जी चालीसा | Durga Mata Ji Chalisa