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गोगा नवमी | Goga Navami

गोगा नवमी | Goga Navami

राजस्थान में एक जनश्रुति के अनुसार पाबूजी, हड़बूजी, रामदेवजी, मंगलियाजी और मेहाजी को पांच मुख्य पीर(पंच पीर) माना जाता है। इस जनश्रुति को दोहा के रूप में इस प्रकार से जाना जाता है:
पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा ।
पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा ॥
राजस्थान के वीर महापुरुष गोगा जी महाराज का जन्म गुरु गोरखनाथ जी के आशीर्वाद से हुआ था। गोगा देव जी की मां बाछल देवी निसंतान थी। उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए कई यत्न किए परंतु सभी यत्न करने के पश्चात भी संतान सुख नहीं मिला।
एक बार की बात है गुरु गोरखनाथ जी महाराज गोगामेडी में टीले पर तपस्या कर रहे थे। वाछल देवी उनकी शरण में गई तब गुरु गोरखनाथ जी ने बाछल देवी को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और साथ में एक गुग्गल नामक फल प्रसाद के रूप में दिया।
प्रसाद खा कर बाछल देवी गर्भवती हो गई और भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की नवमी को गोगा जी महाराज का जन्म हुआ। गुगल फल के नाम से इनका नाम गोगाजी पड़ा।
चौहान वंश के राजा पृथ्वीराज के पश्चात गोगा जी महाराज पराक्रमी वीर और ख्याति प्राप्त राजा थे। गोगा जी महाराज का राज्य सतलुज से हरियाणा तक फैला हुआ था। विद्वानों के अनुसार गोगा जी महाराज का जीवन शौर्य, पराक्रम व उच्च जीवन आदर्शों का प्रतीक माना जाता है।

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