वह खेत मेरा है । Vah Khet Mera Hai
अकबर का पुत्र सलीम सैनिकों को लेकर राजस्थान जीतने गया। राजस्थान के एक मुख्य प्रदेश पर उसने डेरा डाला। सैनिकों के घोडो को घास डालना है। सलीम को पता है कि राजस्थान में इस समय चने की फसल बहुत है। उसने सैनिकों से कहा, “जाओ, खेतों में से हरे चने ले आओ और घोड़ों को खिलाओं।” सैनिक गये। घोडो ने दो-तीन मील रास्ता पार किया। एक खेत के कौने में एक वृक्ष के नीचे झोंपडी राजस्थान का वृद्ध राजपूत रहता था, हुक्का पीता था, दाढी सफेद हो गई थी। सलीम के सैनिकों ने उससे कहा, “बूढे, हम सलीम के सैनिक है।” वह बोले, “हाँ, बोलो।’
वे बोले, “हमारे सैनिकों के घोडो के लिए घास चाहिए। हमें हरे चने के खेत बताओ। राजस्थान को लूटने के लिए सलीम की सेना आई है।”
एक क्षण के लिए वृद्ध विचार में पड़ गया। दूसरे क्षण बाहर आया, बोला “चलो।”
वह समझ गया कि इस समय इन का जोर है अगर इन्कार कर दूँगा तो मार डालेंगे। आगे वृद्ध पीछे सलीम के घुड़सवार थे। थोडा आगे जाते ही हरे चने का खेत आया। वे बोले, “काट ले।”
वृद्ध ने मना कर दिया। कहा कि इससे भी अच्छे खेत है। वह उन्हें एक मील दूर ले गया। सैनिकों को शंका पडी कि यह व्यक्ति शायद राजपूतों को एकत्रित करके हमें घैर लेगा, अतः वे क्रोधित हो गये। बोले, “इतने सारे हरे चने के खेत आये है, और हमें दूर क्यों ले जा रहे हो?”
वह बोला, “आप चिन्ता मत करे। मैं धोखा नहीं दूँगा। मैं राजस्थान का क्षत्रिय हूँ, हम धोखा नहीं देते, चलो।” एक-एक खेत पारे करते अन्त में राजपूत सैनिकों को एक खेत में ले गया और कहा, “यहाँ से चने काट लो।”
वे बोले, “इतने सारे हरे चने के खेत आये थे, उन सबमें ऐसे ही चने थे तो आप हमें इतनी दूर क्यों ले आये? हमारे लिए तो सभी खेत समान है।”
वृद्ध की आँखों में आँस आ गये। उसने कहा, वे “मार्ग में जो खेत थे, वे तो मेरे सगे सम्बंधियों के थे। यह खेत मेरा है। आप इसमें से ले सकते है। दूसरों के खेत में से चने लेना हिन्दुस्तान का व्यक्ति नहीं कर सकता।”
कैसी उच्च भावना?