कनक भवन दरवाजे | Kanak Bhawan Darwaje
कनक भवन दरवाजे पड़े रहो
जहाँ सियारामजी विराजे पड़े रहो
कनक भवन दरवाजे पड़े रहो
जहाँ सियारामजी विराजे पड़े रहो..
सुघर सोपान सो द्वार सुहावे
छटा मनोहर मोहे मन भावे
सुन्दर शोभा साजे पड़े रहो
कनक भवन दरवाजे पड़े रहो
जहाँ सियारामजी विराजे पड़े रहो..
आवत जात संत जन दर्शत
दर्शन करि के सुजन मन हर्षत
देखत कलि मल भागे पड़े रहो
कनक भवन दरवाजे पड़े रहो
जहाँ सियारामजी विराजे पड़े रहो..
अवधविहारी सिंघासन सोहे
संग श्रीजनकलली मन मोहे
अति अनुपम छवि छाजे पड़े रहो
कनक भवन दरवाजे पड़े रहो
जहाँ सियारामजी विराजे पड़े रहो..
श्रीसियाराम रूप हिय हारि
लखि राजेश जाए बलिहारी
कोटि काम रति लाजे पड़े रहो
कनक भवन दरवाजे पड़े रहो
जहाँ सियारामजी विराजे पड़े रहो..
कनक भवन दरवाजे पड़े रहो
जहाँ सियारामजी विराजे पड़े रहो
कनक भवन दरवाजे पड़े रहो
जहाँ सियारामजी विराजे पड़े रहो..