ज्येष्ठ मास | Jyeshth Maas
हिंदू कैलेंडर के तीसरे महीने को ज्येष्ठ मास कहते हैं। इसकी शुरुआत वैशाख मास की पूर्णिमा के अगले दिन से होती है।ज्येष्ठ मास में भगवान विष्णु की पूजा का खास महत्व होता है।
क्योंकि इसी महीने में भगवान श्रीराम से हनुमान जी की मुलाकात हुई थी। इसलिए इस माह में मंगलवार का व्रत रखने से व्यक्ति को विशेष आशीर्वाद और लाभ मिलता है। साथ ही, बजरंगबली की पूजा और अर्चना से जीवन के कई प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल सकती है।
ज्येष्ठ मास को तपस्या, संयम और सेवा का महीना मानते हैं। इस महीने में गर्मी बहुत होती है। इसलिए जल दान, व्रत और पूजा करना अच्छा माना जाता है। ज्येष्ठ महीने को जेठ माह भी कहते हैं। इस महीने में सूर्य देव और वरुण देव की पूजा करने से लाभ मिलता है।
ज्येष्ठ माह प्रमुख व्रत और त्योहार
- ज्येष्ठ माह का प्रारंभ
- वृषभ संक्रांति
- एकदन्त संकष्टी चतुर्थी
- अपरा एकादशी
- शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
- मासिक शिवरात्रि
- वट सावित्री व्रत, दर्श अमावस्या
- शनि जयंती, ज्येष्ठ अमावस्या, रोहिणी व्रत
- विनायक चतुर्थी
- स्कन्द षष्ठी
- धूमावती जयंती, मासिक दुर्गाष्टमी
- महेश नवमी
- गंगा दशहरा
- निर्जला एकादशी, गायत्री जयंती
- प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
- वट पूर्णिमा व्रत, ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
- ज्येष्ठ पूर्णिमा स्नान और दान, कबीरदास जयंती
ज्येष्ठ मास में क्या करें
- ज्येष्ठ महीने में दान-पुण्य करना बहुत अच्छा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में दान करने से भगवान हनुमान और सूर्य देव खुश होते हैं। लोग इस महीने में पानी से भरे घड़े, पंखे, जूते, चप्पल और कई चीजें दान करते हैं।
- इस महीने में कुछ खास चीजें दान करने से बहुत फायदा होता है, जैसे कि पानी से भरा घड़ा दान करना अच्छा माना जाता है।
- प्रातः स्नान के बाद तुलसी के पौधे में शुद्ध जल अर्पित करें। यदि संभव हो तो उसमें गंगाजल की कुछ बूंदें भी मिला लें। यह साधारण-सा उपाय नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मक वातावरण बनाता है। साथ ही यह आर्थिक समृद्धि के द्वार भी खोलता है।
- शुक्रवार को 11 गोमती चक्र लेकर लाल कपड़े में बांधें और तुलसी के पास रख दें। सात दिन बाद इन चक्रों को बहते जल में प्रवाहित कर दें। यह प्रक्रिया सौभाग्य और सुख-समृद्धि को आकर्षित करती है।
ज्येष्ठ मास में क्या न करें
- ज्येष्ठ महीने में कुछ खास चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। ज्येष्ठ के महीने में मसालेदार चीज का सेवन नहीं करना चाहिए।
- दिन में एक बार भोजन करने का प्रयास करना चाहिए।
- लहसुन और राई जैसी गर्म चीजों से भी दूर रहना चाहिए।