चैत्र मास | Chaitra Maas
चैत्र हिंदू पंचांग का पहला मास है। इसी महीने से भारतीय नववर्ष आरम्भ होता है।पौराणिक मान्यता के अनुसार, ब्रह्माजी ने चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही सृष्टि की रचना करने की शुरुआत की थी। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि सतयुग की शुरुआत चैत्र माह से हुई थी। इस महीने में भगवान विष्णु ने पहला अवतार मत्स्य (मछली) रूप में लिया था। मत्स्य अवतार ने सृष्टि के सभी प्राणियों, राजा मनु, सप्त ऋषियों और वेदों को जल प्रलय से बचाया था।
चैत्र माह में सूर्य की उपासना करना चाहिए।शक्ति और ऊर्जा के लिए देवी की उपासना करनी चाहिए। इस महीने में लाल फलों का दान करें और नियमित रूप में पेड़ पौधों में जल डालें।
चैत्र महीने में पड़ने वाले पर्व
- चैत्र मास प्रारंभ
- भाई दूज
- भालचद्र संकष्टी चतुर्थी
- रंग पंचमी
- शीतला सप्तमी
- शीतला अष्टमी, बसोड़ा, कालाष्टमी
- पापमोचिनी एकादशी
- प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
- मासिक शिवरात्रि
- चैत्र अमावस्या
- गुड़ी पड़वा, चैत्र नवरात्रि
- गणगौर
- रामनवमी
- कामदा एकादशी
- प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष )
- चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती
चैत्र के महीने में पानी का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए। क्योंकि, इस महीने में तापमान बढ़ने लगता है। ऐसे में शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इसलिए समय समय पर पानी पीते रहें और हो सकें तो इस महीने में चने का सेवन अधिक करें।
चैत्र मास में क्या नहीं खाना चाहिए?
- बासी भोजन ना करें
- मांस जैसे गरिष्ठ भोजन से बचें
- दूध पीने से बचें
- तैलीय, मसालेदार भोजन से बचें
- फास्ट फूड का सेवन ना करें
- गुड़ ना खाएं