वैशाख मास | Vaishakh Maas
वैशाख भारतीय काल गणना के अनुसार वर्ष का दूसरा माह है।वैशाख माह का संबंध विशाखा नक्षत्र से माना गया है, इसलिए इस महीने को वैशाख के नाम से जानते हैं इस माह को एक पवित्र माह के रूप में माना जाता है। जिनका संबंध देव अवतारों और धार्मिक परंपराओं से है। ऐसा माना जाता है कि इस माह के शुक्ल पक्ष को अक्षय तृतीया के दिन विष्णु अवतारों नर-नारायण, परशुराम, नृसिंह और ह्ययग्रीव के अवतार हुआ और शुक्ल पक्ष की नवमी को देवी सीता धरती से प्रकट हुई। कुछ मान्यताओं के अनुसार त्रेतायुग की शुरुआत भी वैशाख माह से हुई।
वैशाख मास के दौरान विष्णु सहस्र-नाम और भागवत का पाठ करना बहुत शुभ होता है। इसे जगत के पालनहार भगवान विष्णु का प्रिय मास माना जाता है। इसका एक नाम माधव मास भी है और इसमें श्रीकृष्ण की पूजा करनी शुभ मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है वैशाख मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।
वैशाख माह के शुभ पर्व
- मेष संक्रांति
- संकष्टी चतुर्थी
- वरुथिनी एकादशी
- प्रदोष व्रत (कृष्ण)
- मासिक शिवरात्रि
- वैशाख अमावस्या
- अक्षय तृतीया
- विनायक चतुर्थी
- गंगा सप्तमी
- सीता नवमी
- मोहिनी एकादशी
- प्रदोष व्रत (शुक्ल)
- नरसिंह जयंती
- बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख पूर्णिमा व्रत
वैशाख के महीने में क्या करना चाहिए?
वैशाख महीने में राहगीरों को जल पिलाना और प्याऊ लगवाना बहुत पुण्यदायी माना गया है। वैशाख महीने में पशु-पक्षियों को दाना-पानी रखना भी शुभ माना जाता है। साथ ही, इस महीने में जल का दान महादान माना गया है।
वैशाख मास में क्या नहीं खाना चाहिए:
- तेल और तेल से बनी चीजें
- तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए
- प्याज और लहसुन खाने से भी परहेज
- कुछ लोग वैशाख मास में आलू खाने से भी परहेज करते हैं
- कुछ लोगों की राय वैशाख मास में बैंगन खाने से भी बचना चाहिए
वैशाख मास में क्या नहीं करना चाहिए:
- वैशाख मास में दिन में सोने से भी बचना चाहिए
- ग्रंथों के अनुसार, वैशाख मास में तेल मालिश करना भी नहीं चाहिए
- वैशाख मास में कांसे के बर्तन में भोजन करना भी वर्जित है
- इस महीने में चारपाई या पलंग पर सोना भी नहीं चाहिए
- कुछ लोग वैशाख मास में रात में खाना खाने से भी परहेज करते हैं