भेद निकालो | Bhed Nikalo
एक गाँव में सभी व्यक्ति एकत्रित हुए। और फिर फैसला किया कि हमारे गाँव में एक मंदिर होना चाहिए। फिर सबने चंदा इकट्ठा किया और मंदिर बनवाया। मंदिर बनवाने के बाद सबने ग्रामसभा बुलवाई और निर्णय करने बैठे कि मंदिर में मूर्ति किंस की रखी जाये? कइयों ने कहा, “राम की मूर्ति रखो। कारण की राम सरल है, मर्यादा पुरुषोतम है, सत्यनिष्ठ है।” मंदिर में राम- की मूर्ति रखने में आई।
फिर ऐसा हुआ कि कृष्ण को मानने वाले मंदिर में आने बंद हो गये। फिर सब लोग इकट्ठे हुए। अब क्या करे? हमारे लिए तो सभी समान है। ऐसा करें, राम कि मूर्ति का विधिसर विसर्जन कर दें और कृष्ण की मूर्ति रख दें। पंडितो को बुलाया, यज्ञयज्ञादि हुआ और राम की मूर्ति का विसर्जन करके राधा-कृष्ण की मूर्ति प्रतिष्ठी करके रखी। राधा-कृष्ण की मूर्ति रखते ही राम को मानने वाले मंदिर में आनें बंद हो गये। अतः मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या जितनी थी उतनी ही रही। ज्यादा लोगों को बुलाना था।
वो तो हुआ ही नहीं। फिर सब इकट्ठे हुए।
बजर्गों को बुलाया। उन्होंने कहा,”एक काम करौ। शिवजी की प्रतिष्ठा करवाओ।” राधा-कृष्ण का विसर्जन किया और शिवजी का स्थापन किया। अब मंदिर में शैव ही आते थे।
वैष्णव आने बन्द हो गयेः।
इस तरह मंदिर पर उतना खर्च नहीं हुआ जितना प्रतिष्ठा और विसर्जन में हुआ। सब इकठ्ठे हुए और पूछा,”अब क्या करे ?” कहा, “अब ऐसा करो, सारी मूर्तियाँ हटा दो मस्जिद बना दो। मर्ति आने से मतभेद खडे होते है। मस्जिद में मूर्ति होती नहीं है ।
सब ने यह निर्णय ठीक समझा। मूर्ति निकाल दी और मस्जिद बना दी। मस्जिद बनते ही मुसलमान लोग आने शुरू हो गये। हिन्दू लोग आने बंद हो गये।
फिर एक संत आये। गाँव वालों ने इकट्ठे जा कर उन्हें अपनी तकलीफ बताई। संत ने कहा, “एक उपाय है। होटल बना दो। वहाँ पर सब लोग आयेंगे।”
होटल बनी । सभी लोग आने लगे । हिन्दू, मस्लिम, क्रिस्ती, शैव, वैष्णव… सभी लोग आने लगे। जहाँ असत्य है वहाँ सब इकट्ठे होते है,. और जहाँ सत्य है वहाँ पर हम अलग हो जाते हैं।
यह सनातन सत्य है।