गौरी के नंदा गजानंद | Gauri Ke Nanda Gajanand
गौरी के नंदा गजानंद | Gauri Ke Nanda Gajanand गौरी के नंदा गजानंद गौरी के नंदाम्हारा विघ्न हरोगणराज गजानंद गौरी के नंदागौरी के नंदा गजानंद… पिता तुम्हारे है शिव शंकर…
गौरी के नंदा गजानंद | Gauri Ke Nanda Gajanand गौरी के नंदा गजानंद गौरी के नंदाम्हारा विघ्न हरोगणराज गजानंद गौरी के नंदागौरी के नंदा गजानंद… पिता तुम्हारे है शिव शंकर…
गजानंद महाराज पधारो | Gajanand Maharaj Padharo गजानंद महाराज पधारो गजानंद महाराज पधारो कीर्तन की तयारी हैआओ आओ बेगा आओ चाव दर्श को भारी हैगजानंद महाराज पधारो… थे आवो जद…
प्रभु के सिवा कहीं | Prabhu Ke Siva Kahin फ़िल्मी तर्ज - परदेसियों से ना अखियाँ मिलानाप्रभु के सिवा कहींदिल ना लगाना,नहीं तो पड़ेगा तुझे,नहीं तो पड़ेगा तुझे,आंसू बहाना,प्रभू के…
लक्ष्मी जी की कहानी | Lakshmi Ji Ki Kahani एक बनिए से लक्ष्मी जी रूठ गई।जाते वक्त बोली मैं जा रही हूँ और मेरी जगह टोटा(नुकसान)आ रहा है। तैयार हो…
गणेश जी की कहानी | Ganesh Ji Ki Kahani बहुत समय पहले की बात है, एक बहन और एक भाई रहते थे। बहन हर रोज अपने भाई का चेहरा देखकर…
लड्डूगोपाल आरती | Laddugopal Aarti आरती बाल कृष्ण की कीजै ।अपना जन्म सफल कर लीजै ॥आरती बाल कृष्ण की कीजै… श्री यशोदा का परम दुलारा ।बाबा के अँखियन का तारा…
कहुं लगि आरती दास करेंगे, सकल जगत जाकी जोत विराजे।सात समुद्र जाके चरणनि बसे, कहा भये जल कुम्भ भरे हो राम। कोटि भानु जाके नख की शोभा, कहा भयो मन्दिर…
शालिग्राम सुनो विनती मेरी ।यह वरदान दयाकर पाऊं ॥ प्रात: समय उठी मंजन करके ।प्रेम सहित स्नान कराऊँ ॥ चन्दन धुप दीप तुलसीदल ।वरन -वरण के पुष्प चढ़ाऊँ ॥ तुम्हरे…
॥ दोहा ॥ श्री गुरु चरण सरोज छवि, निज मन मन्दिर धारि।सुमरि गजानन शारदा, गहि आशिष त्रिपुरारि॥बुद्धिहीन जन जानिये, अवगुणों का भण्डार।बरणों परशुराम सुयश, निज मति के अनुसार॥ ॥ चौपाई…
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशंविश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यंवन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥ यं ब्रह्मा वरुणेन्द्ररुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैस्स्तवैःवेदैः साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगाः ।ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनोयस्यान्तं न विदुः सुरासुरगणा…
॥दोहा॥ जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी।नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर वर अम्ब।जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब॥ ॥चौपाई॥ धन्य धन्य…
पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मन्दिर शोभितम्।निकट गंगा बहत निर्मल,श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम्॥शेष सुमिरन, करत निशदिन,धरत ध्यान महेश्वरम्।वेद ब्रह्मा करत स्तुति श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम्॥इन्द्र चन्द्र कुबेर दिनकर, धूप दीप निवेदितम्।सिद्ध मुनिजन…
ओम जय श्री जीण मइया , बोलो जय श्री जीण मइया।सच्चे मन से सुमिरे , सब दुःख दूर भया ।।ओम जय श्री जीण मइया…ऊंचे पर्वत मंदिर , शोभा अति भारी…