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गणेश जी की कहानी | Ganesh Ji Ki Kahani

गणेश जी की कहानी | Ganesh Ji Ki Kahani

बहुत समय पहले की बात है, एक बहन और एक भाई रहते थे। बहन हर रोज अपने भाई का चेहरा देखकर ही खाना खाती थी। बहन रोज सुबह जल्दी उठकर घर का सारा काम करके जल्दी से अपने भाई को देखने के लिए निकल जाती थी।
रास्ते में एक पीपल के पेड़ के नीचे गणेश जी की मूर्ति थी, जहां वे नित्य हाथ जोड़ कर कहती थी “भगवान मेरे जैसा अमर सुहाग और मेरे जैसा अमर पीहर सबको देना”। रास्ते में जाते हुए जंगल का कांटा उसके पैर में चुभ जाता था।
एक दिन बहन ने अपने भाई का चेहरा देखा और बैठ गई। भाभी जी ने उससे पूछा कि बाई जी तुम्हारे पैरों मे क्या हुआ है? बहन ने कहा रास्ते में आने के वक्त जंगलों का कांटा पैर में चुभ गया है। यह कहकर बहन अपने घर चली गई।
भाभी ने अपने पति से कहा रास्ता साफ कर दीजिए रास्ते से आने के वक्त आपकी बहन को पैरों में कांटा चुभ जाता है। तुम्हारी बहन पीड़ित है। भाई ने कुल्हाड़ी लेकर सड़क से झारिया, जंगली घास और पेड़ पौधे काट दिए। जिससे रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया।
पेड़ों की सफाई के कारण गणेश जी की मूर्ति अपने स्थान से हट गई, जिससे भगवान क्रोधित हो गए और उसके प्राण हर लिए। जब गांव के लोग भाई को अंतिम संस्कार के लिए ले जा रहे थे तभी भाभी ने रोते हुए कहा, तुम थोड़ी देर रुक जाओ। उनकी बहन हर रोज भाई का चेहरा देखती है।
लोगों ने कहा आज तो देख लेगी लेकिन कल से क्या देखेगी? बहन रोज की तरह अपने भाई का चेहरा देखने के लिए सड़क से आती है। सड़क से आते हुए बहन ने देखा सड़क एकदम से साफ हो गयी है। पेड़, पौधे, जंगली घास सब कटे हुए हैं।
थोड़ा और आगे जाते हुए देखती है कि गणेश जी की मूर्ति भी अपने स्थान से हटी हुई है। यह देखकर वो जल्दी से खेजड़ी की डाल लेकर जगह् साफ़् करती है और गणेश जी की मूर्ति पुनः अपने स्थान पर रख् देती है। और हमेशा की तरह हाथ जोड़ कर कहने लगी – “भगवान मेरे जैसा अमर सुहाग और मेरे जैसा अमर पीहर सबको देना”।
भगवान गणेश ने उनकी बातें सुनीं और सोचा कि अगर मैने आज इसकी नहीं सुनी तो इस दुनिया में कोई भी हमें नहीं मानेगा, कोई हमारी पूजा नहीं करेगा। भगवान गणेश कहते हैं कि बेटी खेजड़ी के ये सात पत्ते ले जाओ और इन्हें कच्चे दूध में मिलाकर अपने भाई के शरीर पर छिटे मार देना और वह उठ जाएगा।
जब बहन ने पीछे मुड़कर देखा तो कोई नहीं था, तो उसने सोचा कि जैसा सुना वैसा ही कर लेती हूं। वह खेजड़ी के सात पत्ते लेकर घर गयी और देखा कि वहाँ लोगों की भीड़ लगी हुई है।
उसने घर जाकर देखा उसके भाई का शरीर रखा हुआ है, उसकी भाभी रो रही थी। जैसे कि उसने गणेश जी से सुना था वैसे ही उसने कच्चे दूध में खेजड़ी के 7 पत्ते मिलाकर अपने भाई की शरीर पर छिटक दिया और उसकी भाई जाग उठा। भाई ने उठ कर कहा आज मुझे गहरी नींद आई। बहन ने कहा ऐसी नींद कोई शत्रु को भी ना आए और उसके भाई को सारी घटना बताई।हे ! गणेश जी महाराज जैसा अमर सुहाग और अमर पिहर् उस बहन को दिया वैसा सबको देना |
गणेश जी महाराज की जय।

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