सूर्य देव बीज मंत्र | Surya Dev Beej Mantra
“ॐ घृणि सूर्याय नमः”
अर्थ :-
“मैं प्रकाश और जीवन के स्वामी सूर्य देव को नमन करता हूँ”। यह एक प्रसिद्ध सूर्य मंत्र है जिसका जाप करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य, यश और सफलता मिलती है, और यह सूर्य देव की कृपा का आह्वान करता है।
जप विधि:-
- सूर्योदय के समय स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े हों।
- तांबे के लोटे में शुद्ध जल (गंगाजल, लाल फूल, चावल मिलाकर) भरें।
- सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें।
- सूर्य की किरणों के बीच से जल अर्पित करने से ऊर्जा का संचार होता है।
- 108 बार जप (माला से) करना सर्वोत्तम है।
- जप के बाद “आदित्य हृदय स्तोत्र” या “सूर्य अष्टक” का पाठ भी लाभकारी होता है।
लाभ:-
- स्वास्थ्य लाभ – नेत्र रोग, हृदय रोग, त्वचा रोग और पाचन संबंधी समस्याओं में लाभ।
- ऊर्जा और आत्मबल – आलस्य दूर होता है, कार्यों में उत्साह और शक्ति मिलती है।
- मानसिक शांति और एकाग्रता – पढ़ाई और ध्यान में एकाग्रता बढ़ती है।
- आर्थिक उन्नति – नौकरी और व्यापार में सफलता।
- आत्मविश्वास और आकर्षण – व्यक्तित्व में निखार, नेतृत्व शक्ति बढ़ती है।
- कुंडली दोष निवारण – सूर्य नीच या पाप ग्रहों से पीड़ित होने पर यह मंत्र विशेष रूप से प्रभावकारी है।
विशेष ध्यान रखें :–
- इस मंत्र का जप भोर में उगते सूर्य को देखकर ही करना श्रेष्ठ है।
- जप के समय लाल आसन पर बैठना और तांबे के पात्र का प्रयोग शुभ होता है।
- रविवार को विशेष रूप से यह साधना अधिक फलदायी होती है।