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ऋणहर्ता गणेश स्तोत्रं | Rinharta Ganesh Stotram

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्रं | Rinharta Ganesh Stotram

जो व्यक्ति ऋणहर्ता गणेश स्तोत्रं का नित्य प्रातः काल पाठ करता है उसे छह माह में कर्ज से छुटकारा मिल जाता है।इसके साथ ही मन की शांति प्राप्ति होती है। इसके साथ ही धन संबंधी हर समस्या से छुटकारा मिल जाता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

ध्यान
ओम सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम्॥

जो व्यक्ति ऋणहर्ता गणेश स्तोत्रं का नित्य प्रातः काल पाठ करता है उसे छह माह में कर्ज से छुटकारा मिल जाता है।इसके साथ ही मन की शांति प्राप्ति होती है। इसके साथ ही धन संबंधी हर समस्या से छुटकारा मिल जाता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

मूल-पाठ
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे॥

त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे॥

हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे॥

महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे॥

तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे॥

भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे॥

शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे॥

पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे॥

इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,
एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित:।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत्॥

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