लक्ष्मण जी आरती | Lakshman Ji Aarti
आरती लक्ष्मण बालजती की । असुर संहारन प्राणपति की ॥
जगमग ज्योति अवधपुर राजे । शेषाचल पै आप विराजे ॥
घंटा ताल पखावज बाजे । कोटि देव मुनि आरती साजे ॥
किरीट मुकुट कर धनुष विराजे । तीन लोक जाकी शोभा राजे ॥
आरती लक्ष्मण बालजती की..
कंचन थार कपूर सुहाई । आरती करत सुमित्रा माई ॥
आरती कीजे हरी की तैसी । ध्रुव प्रहलाद विभीषण जैसी ॥
आरती लक्ष्मण बालजती की..
प्रेम मगन होय आरती गावै । बसि वैकुण्ठ बहुरि नहीं आवै ॥
भक्ति हेतु हरि ध्यान लगावै । जन घनश्याम परमपद पावै ॥
आरती लक्ष्मण बालजती की..
आरती लक्ष्मण बालजती की । असुर संहारन प्राणपति की ॥
राम राम