शनि बीज मंत्र | Shani Beej Mantra
“ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।”
अर्थ :-
- ॐ – ब्रह्मांड की मूल ध्वनि, ईश्वर का प्रतीक।
- प्राँ प्रीं प्रौं – ये बीजाक्षर (बीज मंत्र) हैं जो शनि देव की ऊर्जा को सक्रिय करते हैं।
- प्राँ – शक्ति (Power)
- प्रीं – संरक्षण (Protection)
- प्रौं – शांति व संतुलन (Peace and Balance)
- सः – दिव्यता का प्रतिनिधित्व करता है।
- शनैश्चराय – शनैश्चर (शनि देव) को संदर्भित करता है।
- नमः – नमन या समर्पण।
“मैं शनि देव को नमन करता हूँ, जो धीरे चलने वाले, न्याय के देवता हैं; कृपया मुझे शक्ति, संतुलन और संरक्षण प्रदान करें।”
जाप:-
- दिन: शनिवार (Saturday) विशेष रूप से शुभ होता है।
- समय:
- सुबह सूर्योदय से पहले या
- सूर्यास्त के बाद (सांझ के समय)
- शनि होरा या अमावस्या को विशेष फलदायी माना जाता है।
- स्थान: शांत, पवित्र स्थान पर बैठकर – शनि मंदिर, घर में पूजा स्थान, पीपल के पेड़ के नीचे।
जाप के लाभ:-
1. शनि दोष से मुक्ति
- कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैया या अशुभ स्थिति से राहत मिलती है।
2. कर्मों का सुधार और न्याय की प्राप्ति
- शनि देव न्याय के देवता हैं। उनके मंत्र से व्यक्ति अपने कर्म सुधारता है और न्यायिक परेशानियों से बाहर निकलता है।
3. धैर्य और संयम में वृद्धि
- नियमित जाप से मानसिक संतुलन, धैर्य और सहनशीलता बढ़ती है।
4. कर्ज़ और आर्थिक समस्या से राहत
- शनि के कुप्रभाव से आर्थिक संकट होते हैं। यह मंत्र आर्थिक स्थिरता लाने में सहायक है।
5. रोग और शारीरिक कष्टों से राहत
- विशेष रूप से नसों, हड्डियों, और पुराने रोगों में लाभ मिलता है।
6. नौकरी और करियर में स्थिरता
- शनि मेहनत और अनुशासन का प्रतीक है। मंत्र जाप से कार्यक्षेत्र में उन्नति मिलती है।
7. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा
- बुरी नजर, बुरे ग्रह, और टोने-टोटके जैसे प्रभावों से रक्षा होती है।
8. जीवन में स्थिरता और गहराई आती है
- जीवन की अस्थिरता, अनावश्यक भ्रम, और उतार-चढ़ाव कम होते हैं।
ध्यान रखें:
- मंत्र का जाप श्रद्धा, नियम और शुद्धता के साथ करें।
- केवल डर से नहीं, भक्ति और आत्म-शुद्धि के भाव से करें।
- काले तिल, काले वस्त्र, और तिल के तेल का उपयोग शनि पूजन में शुभ माना जाता है।