हराम को छोड । Haram Ko Chhod
हराम को छोड । Haram Ko Chhod एक दिन गाँधीजी सायंकाल की प्रार्थना करने के लिए बिरला मन्दिर जा रहे थे। रास्ते में एक भाई ने हाथ जोडकर बापू से…
हराम को छोड । Haram Ko Chhod एक दिन गाँधीजी सायंकाल की प्रार्थना करने के लिए बिरला मन्दिर जा रहे थे। रास्ते में एक भाई ने हाथ जोडकर बापू से…
खन-खन आवाज । Khann-Khann Aawaj तीन लडके थे। पिता की सारी सम्पति बाँट ली मकान बाँटे, खेत बाँटे, जमीन जायदाद बाँटी, पैसे बाँटे। पिता रह गया।बड़ा लड़का कहे, "मैं नहीं…
मेरी यात्रा पूर्ण हुई । Meri Yatra Purn Hui मेरा एक मित्र है, स्नेही है। उसका नाम है बरबाद। जूनागढ रहता है। फ़कीर है। अति गरीब है।एक बार मैंने उससे…
मन-आत्मा की तकरार । Man-Aatma Ki Takrar एक भिखारी रास्ते पर बैठकर भीख माँग रहा था। एक आदमी वहाँ से निकला। भिखारी ने कहा,"मैं बहुत भूखा हूँ। मुझे कुछ दो।"उस…
श्री हित चौरासी जी | Shree Hit Chaurasi Ji जोई जोई प्यारो करे सोई मोहि भावे, भावे मोहि जोई सोई सोई करे प्यारेमोको तो भावती ठौर प्यारे के नैनन में,…
श्री कृष्ण स्त्रोतं | Shree Krishan Strotam ॥ पार्वत्युवाच ॥ भगवन् श्रोतुमिच्छामि यथा कृष्णः प्रसीदति ।विना जपं विना सेवां विना पूजामपि प्रभो ॥1॥ यथा कृष्णः प्रसन्नः स्यात्तमुपायं वदाधुना ।अन्यथा देवदेवेश…
श्री कार्तिकेय स्तोत्र | Shree Kartikeya Strotam स्कंद उवाच –योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः।स्कंदः कुमारः सेनानी स्वामी शंकरसंभवः॥1॥ गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः।तारकारिरुमापुत्रः क्रोधारिश्च षडाननः॥2॥ शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः।सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः॥3॥ शरजन्मा गणाधीशः पूर्वजो…
शुक्र स्त्रोत | Shukar Strotam नमस्ते भार्गव श्रेष्ठ देव दानव पूजित ।वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमो नम: ॥1॥ देवयानीपितस्तुभ्यं वेदवेदांगपारग: ।परेण तपसा शुद्ध शंकरो लोकशंकर: ॥2॥ प्राप्तो विद्यां जीवनाख्यां तस्मै शुक्रात्मने…
राहु स्तोत्र | Rahu Strotam ाहुर्दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः ।अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः ॥1॥ रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुमीतिदः ।ग्रहराजः सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः ॥2॥ कालदृष्टिः कालरुपः श्रीकष्ठह्रदयाश्रयः ।विधुंतुदः सैंहिकेयो घोररुपो महाबलः ॥3॥ ग्रहपीडाकरो…
दशरथकृत शनि स्तोत्र | Dashrathkrat Shani Strotam नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:॥ नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते॥ नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।नमो…
बृहस्पति स्त्रोतं | Brihaspati Strotam पीताम्बर: पीतवपु: किरीटी, चतुर्भुजो देवगुरु: प्रशान्त: ।दधाति दण्डं च कमण्डलुं च, तथाक्षसूत्रं वरदोsस्तु मह्यम ॥1॥ नम: सुरेन्द्रवन्द्याय देवाचार्याय ते नम: ।नमस्त्वनन्तसामर्थ्यं देवासिद्धान्तपारग ॥2॥ सदानन्द नमस्तेस्तु…
बुध स्त्रोतं | Budh Strotam पीताम्बर: पीतवपु किरीटी, चतुर्भुजो देवदु:खापहर्ता ।धर्मस्य धृक सोमसुत: सदा मे, सिंहाधिरुढ़ो वरदो बुधश्च ॥1॥ प्रियंगुकनकश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम ।सौम्यं सौम्यगुणोपेतं नमामि शशिनन्दनम ॥2॥ सोमसुनुर्बुधश्चैव सौम्य: सौम्यगुणान्वित:…
गुरु पादुका स्तोत्रम् | Guru Paduka Strotam ॥ श्री गुरु पादुका स्तोत्रम् ॥ अनंत-संसार समुद्र-तार नौकायिताभ्यां गुरुभक्तिदाभ्याम् ।वैराग्य साम्राज्यद पूजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥1॥ कवित्व वाराशिनिशाकराभ्यां दौर्भाग्यदावांबुदमालिकाभ्याम् ।दूरिकृतानम्र विपत्ततिभ्यां नमो…
यज्ञ की पूर्णाहुति । Yagh Ki Purnahuti महाराज युधिष्ठिर ने एक बार यज्ञ किया। यज्ञ में अन्तिम आहुति अर्पण की तो घंटे की आवाज नहीं हुई। अतः धर्मराज युधिष्ठिर को…
शीशे को बदलो पर | Shishe Ko Badlo Par जूनागढ मे शिवरात्रि का मेला लगा था। एक वृद्धा मेले में गई। एक दुकान वाला शीशे बेच रहा था। साठ-सत्तर वर्ष…
सद्गृहस्थ | Sadgrahsth स्वामी विवेकानंदजी ऐसे ही संत थे, जिन्होंने परदेश की जमीन पर भारतीय संस्कृति का ध्वज लहराया। गुरु की आज्ञा से वे अमेरिका गये। वहाँ उन्हें कोई पहचानता…
गुप्तदान | Guptdan भारत में किसी मन्दिर का जीर्णोद्धार हो रहा था। पचास हजार रुपयों की जरूरत थी। ट्रस्टी गये किसी बडे व्यापारी के पास। वह दानशील है। दस बजे…
राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत्र | Radha Kriya Kataksh Stotram मुनीन्द्र–वृन्द–वन्दिते त्रिलोक–शोक–हारिणिप्रसन्न-वक्त्र-पण्कजे निकुञ्ज-भू-विलासिनिव्रजेन्द्र–भानु–नन्दिनि व्रजेन्द्र–सूनु–संगतेकदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष–भाजनम् ॥ अशोक–वृक्ष–वल्लरी वितान–मण्डप–स्थितेप्रवालबाल–पल्लव प्रभारुणांघ्रि–कोमले ।वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालयेकदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष–भाजनम् ॥ अनङ्ग-रण्ग मङ्गल-प्रसङ्ग-भङ्गुर-भ्रुवांसविभ्रमं ससम्भ्रमं दृगन्त–बाणपातनैः…
शक्ति का प्रागट्य | Shakti Ka Pragatya शिवजी का धनुष जब जनकजी को देने में आया तब मुख्य स्थान पर रखने के लिए कई हाथियों द्वारा खींचवाना पडा था। यह…
सूर के श्याम | Sur Ke Shyam सूरदासजी नेत्रहीन थे। कृष्ण के परमभक्त। एक जगह भजन करने गये। बहुत रंग में आये। समय बीतता चला गया। उन्होंने यह माना कि…