मंगल की सेवा सुन मेरी देवा, हाथ जोङ तेरे द्वार खडें,
पान सुपारी धवजा नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट क़रें।
सुन जगदम्बें कर न विलम्बें, संतन के भंडार भरें,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करें॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा….
बुद्धि विधाता तू जगमाता, मेरा कारज सिद्ध करें,
चरण कमल का लिया आसरा, शरण तुम्हारी आन परें।
जब जब पीर पडे भक्तन पर, तब तब आए सहाय करें
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करें॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा….
बार बार तै सब जग मोहयो, तरुणी रुप अनूप धरें,
माता होकर पुत्र खिलावें, कही भार्या बन भोग करें।
संतन सुखदायी, सदा सहाई, संत खडे जयकार करें,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करें॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा….
ब्रह्मा, विष्णु, महेश फल लिए, भेंट देन सब द्वार खड़े,
अटल सिंहासन बैठी माता, सिर सोने का छत्र धरें।
वार शनिचर कुंकुम वरणी, जब लुंकुड पर हुक्म करें,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करें॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा….