ओम जय श्री जीण मइया , बोलो जय श्री जीण मइया।
सच्चे मन से सुमिरे , सब दुःख दूर भया ।।
ओम जय श्री जीण मइया…
ऊंचे पर्वत मंदिर , शोभा अति भारी ।
देखत रूप मनोहर , असुरन भयकारी ।।
ओम जय श्री जीण मइया…
महासिंगार सुहावन , ऊपर छत्र फिरे ।
सिंह की सवारी सोहे , कर में खड़ग धरे ।।
ओम जय श्री जीण मइया…
बाजत नौबत द्वारे , अरु मृदंग डैरु ।
चौसठ जोगन नाचत , नृत्य करे भैरू ।।
ओम जय श्री जीण मइया…
बड़े बड़े बलशाली , तेरा ध्यान धरे ।
ऋषि मुनि नर देवा , चरणो आन पड़े ।।
ओम जय श्री जीण मइया…
जीण माता की आरती , जो कोई जन गावे ।
कहत रूड़मल सेवक , सुख सम्पति पावे ।।
ओम जय श्री जीण मइया , बोलो जय श्री जीण मइया ।
सच्चे मन से सुमिरे , सब दुःख दूर भया ।।