सजा दो घर को | Saja Do Ghar Ko
सजा दो घर को गुलशन सा
मेरे गणराज आये है
लगी कुटिया भी दुल्हन सी
मेरे गणराज आये है
पखारो इनके चरणों को
बहाकर प्रेम की गंगा
बिछा दो अपनी पलकों को
मेरे गणराज आये है
उमड़ आयी मेरी आँखे
देखकर अपने बाबा को
हुयी रोशन मेरी गलिया
मेरे गणराज आये है
तुम आकर फिर नही जाना
मेरी इस सुनी दुनिया से
कहू हरदम यही सबसे
मेरे गणराज आये है
लगी कुटिया भी दुल्हन सी
मेरे गणराज आये है
सजा दो घर को गुलशन सा
मेरे गणराज आये है