दुर्गा क्षमा-प्रार्थना मंत्र | Durga kshma-prathana Mantra (Hindi)
हे परमेश्वरी मेरे द्वारा रात-दिन बहुत से अपराध होते रहते है। मुझे अपना दास समझकर मेरे उन अपराधों को आप कृपा पूर्वक क्षमा करिये।
परमेश्वरी मैं आवाहन करना नहीं जानता, विसर्जन करना नहीं जानता तथा पूजा करने का ढंग भी नहीं जानता। हे माँ मुझे क्षमा करिए।
देवि सुरेश्वरि मैने जो मन्त्रहीन (ना मंत्रो को जानता हूँ), कियाहीन (ना क्रियाओ को जानता हूँ), और भक्तिहीन (ना भक्ति के प्रकार जानता हूँ) पूजन किया है, वह सब आपकी कृपा से पूरे हों।
सैकड़ों अपराध करने के बाद भी जो आपके शरण में आ के जगदम्बा कहकर पुकारता है, उसे वह गति प्राप्त होती है, जो ब्रम्हादि देवताओं के लिये भी पाना आसान नहीं है।
जगदम्बिके! मैं अपराधी हूँ, किंतु आपकी शरण में आया हूँ। इस समय दया का पात्र हूँ। आप जैसा चाहे, वैसा करे।
हे देवी परमेश्वरी अज्ञान वस, भूल से या बुद्धि भ्रष्ट होने के कारण मैं ने जो भी न्यूनता या अधिकता कर दी हो, वह सब क्षमा करें और प्रसन्न हों।
सच्चिदानन्दस्वरूपा परमेश्वरि! जगतमाता कामेश्वरि! आप प्रेमपूर्वक मेरी यह पूजा स्वीकार करें और मुझ पर प्रसन्न रहें।
देवि! सुरेश्वरि! आप गोपनीय से भी गोपनीय वस्तु की रक्षा करने वाली हैं। मेरे निवेदन किये हुए इस जपको ग्रहण करिये। आपकी कृपा से मुझे सिद्धि प्राप्त हो।
इस प्रकार क्षमा प्रार्थना मंत्र के पाठ से दुर्गा माता आप के जाने अनजाने में हुए सारे अपराधों को क्षमा करेंगी और उनकी कृपा सदैव आपके ऊपर बनी रहेगी।